Month: January 2025
निशंक
प्रारम्भिक अवस्था में इतनी शंका कर लें कि आगे शंकाहीन हो जायें। ब्र. डॉ. नीलेश भैया
मरण
संसार तथा परमार्थ में मरण उपकारी है –> घातक बीमारी में समाधिमरण में मरण से घरों में जन्म/ संसार चलता है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
शील
छहढाला में मुनियों के 18000 शील संकल्प-रुप कहे हैं। पूर्णता तो अयोग-केवली के होती है। मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (शंका समाधान – 44)
पाप / पुण्य
पाप का घड़ा छोटा होता है, जल्दी भरकर फूट जाता है। पुण्य का अनंत क्षमता वाला (मोक्ष की अपेक्षा), कभी फूट ही नहीं सकता। निर्यापक
सिद्धांत ग्रंथ
सिद्धांत ग्रंथ गृहस्थों को पढ़ने की मनाही क्यों है ? साधारण व्यक्ति को भोजन करने में विशुद्धता नहीं चाहिये, मुनि के लिये बहुत। ऐसे ही
मोक्षमार्ग
आचार्य श्री विद्यासागर जी से पूछा मोक्षमार्ग कैसा है ? आचार्य श्री… मोक्षमार्ग टेढ़ा-मेढ़ा है। फिर मोक्ष जाने के लिए कौन सा मार्ग पकड़ें ?
सम्यग्दृष्टि
हर संसारी जीव में स्वभाव तथा विभाव का मिश्रण होता है। जिसमें स्वभाव की बहुलता रहती है, वह सम्यग्दृष्टि। ब्र. डॉ. नीलेश भैया
वृद्धावस्था में धर्म
आंखों में पड़ेगा जाला, नाकों से बहेगा नाला, लाठी से पड़ेगा पाला, कानों में पड़ेगा ताला। तब तू क्या करेगा लाला ? आर्यिका श्री पूर्णमति
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