Month: March 2025
गुण / अवगुण
द्रव्य की परिभाषा में गुण + पर्याय है। फिर हमको द्रव्यों में अवगुण कैसे दिखने लगते हैं!! डॉ. ब्र. नीलेश भैया
प्रतिभा / दीक्षा
आचार्य श्री विद्यासागर जी महाराज के 25 ब्रह्मचारी जिनमें कुछ इंजीनियर, पोस्ट ग्रेजुएट, एल.एल.बी. आदि थे। उनको एक साथ दीक्षा दी गई। अगले दिन टिप्पणी
दर्शनोपयोग
आचार्य श्री विद्यासागर जी सम्यग्दर्शन से ज्यादा दर्शनोपयोग को महत्व देते थे। मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 15 फ़रवरी)
सेवा
आचार्य श्री विद्यासागर जी से पूछा –> मनुष्य की सबसे बड़ी सेवा क्या है ? अपनी मनुष्यता का एहसास करना। मुनि श्री विनम्रसागर जी
स्थितिकरण
क्या स्थितिकरण स्वयं का भी हो सकता है ? योगेंद्र स्थितिकरण स्वयं का भी हो सकता है लेकिन मुख्यतः दूसरों का स्थितिकरण ही करा जाता
बड़े / छोटे
कोयल आम के पेड़ के ऊपर बैठी गाते-गाते सो गयी। उसे देख एक खरगोश भी पेड़ की छाँव में सो गया। लोमड़ी आयी खरगोश को
लोकमूढ़ता
लोकमूढ़ता में ऐसे सोच भी आते हैं जैसे इंग्लिश न आने से हम बैकवर्ड हो जाते हैं आदि। मुनि श्री सौम्य सागर जी (प्रवचन- 15
विनाश
बड़े/ पूज्य जैसे पिता/ गुरु अपनी खुद की चिंता/ भला करने लगें; पिता कमाये छोटे बैठे रहें, तो दोनों का विनाश। निर्यापक मुनि श्री सुधासागर
दर्शन
“दर्शन” शब्द के बहुत अर्थ होते हैं… देखना, श्रद्धा, मत(जैसे जैन दर्शन)। कहा गया है “चारित्र (भावलिंग) से भ्रष्ट तो सिद्धि को प्राप्त कर सकता
आभास / सत्
एक प्रसिद्ध किताब Appearance and Reality by F. H. Bradley में कहा है कि आभास ( आ = आना + भास = चमक/ मिथ्या) और
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