चिंतन से भी विशुध्दता आती तो है, पर नवनीत जैसा पूरा ऊपर उठ नहीं पाता, तप से पूरी विशुध्दता, घी जैसी, हर किसी के शीर्ष पर । Reply
यह कथन बिलकुल सत्य है… क्योंकि बिना चिंतन और तप के, आत्मा में विशुध्दता नहीं आ सकती है; जैसा कि उदाहरण में बताया है कि घी बिना तपाने के बन नहीं सकता है, अतः आत्मा में चिंतन और तप से ही विशुध्दता आ सकेगी । Reply
4 Responses
Can it’s meaning be explained please?
चिंतन से भी विशुध्दता आती तो है, पर नवनीत जैसा पूरा ऊपर उठ नहीं पाता,
तप से पूरी विशुध्दता, घी जैसी, हर किसी के शीर्ष पर ।
यह कथन बिलकुल सत्य है…
क्योंकि बिना चिंतन और तप के, आत्मा में विशुध्दता नहीं आ सकती है; जैसा कि उदाहरण में बताया है कि घी बिना तपाने के बन नहीं सकता है, अतः आत्मा में चिंतन और तप से ही विशुध्दता आ सकेगी ।
Okay.