आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने ज़रुरत एवं कृपा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में जरुरत होने पर ही कृपा अवश्य हो सकती है। Reply
भगवान छप्पर फाड़ कर देते हैं। यानी भगवान की कृपा उन्ही पर जो गरीब/ जरुरतमंद हों। समर्थों को तो भगवान पर श्रद्धा/ उनकी जरूरत ही नहीं तो भगवान की कृपा कैसे बरसेगी ? Reply
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आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी ने ज़रुरत एवं कृपा का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में जरुरत होने पर ही कृपा अवश्य हो सकती है।
‘कोठी में छप्पर नहीं’ ka kya meaning hai,
please ?
भगवान छप्पर फाड़ कर देते हैं।
यानी भगवान की कृपा उन्ही पर जो गरीब/ जरुरतमंद हों।
समर्थों को तो भगवान पर श्रद्धा/ उनकी जरूरत ही नहीं तो भगवान की कृपा कैसे बरसेगी ?
कोठी में छप्पर नहीं,
तो भी छप्पर फाड़।
अगर कृपा है ईश की,
मिलता सोख्य अपार।।
Okay.