दया
लालमणी भाई ने सूद पर पैसे देने का काम जब बन्द किया, उस समय 384 लोगों से कर्ज़ा वापिस लेना था।
जो जितना दे सका उससे उतना लेकर Cases बन्द कर रहे थे ताकि उसके प्रति कषाय का भाव न रहे। आखिरी के जब 23 Case बचे तो उन्होंने अपने २० वर्षीय नाती मंकू से कहा कि, ये स्थाई आमदनी का साधन है और ये लोग बहुत कम पैसा वापस देने की स्थिति में हैं, इन Cases को तुम बाद में देखते रहना।
मंकू ने कहा – नहीं, ये लोग जितना भी पैसा दे रहे हैं उनसे लेकर Cases को समाप्त कर दो वरना ये मरते समय दुःखी होकर जायेंगे कि हम कर्ज़ा उतार नहीं पाये।
2 Responses
Om Shanti Very impressive and noble THOUGHTS.
Ha kasayo ki mandta sabse jaroori hai.
Nahi to jitni teevrta se hum kasaye karenge
Be Karam hume utni jada lambi avdhi tak badhe rahenge…