Category: 2017
परिणमन/परिवर्तन
परिणमन = परिवर्तन एक ही अवस्था में, परिवर्तन = एक अवस्था छूटने पर दूसरी अवस्था में जाना, जैसे मिथ्यात्व से सम्यक्त्व में जाना ।
सम्मूर्च्छन मनुष्य
अल्पपरिग्रह आदि से मनुष्य आयु बंध होता है पर बाद में बहुपरिग्रह आदि से वे सम्मूर्च्छन वाले मनुष्य बनकर अल्प आयु पाते होंगे ।
स्थावर
4 प्रकार के स्थावरों के शरीर अजीव/निर्जीव होते हैं (वनस्पति को छोड़कर) जैसे जलादि । ज्ञानशाला
अचल प्रदेश
नाभी के 8 प्रदेशों में स्पंदन नहीं होता,पर उनमें कर्मों का आना जाना लगा रहता है ।
आहारक शरीर/सूक्ष्म नामकर्म
आहारक शरीर के उदय काल में सूक्ष्म नामकर्म का भी उदय रहता है । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
मनुष्य में परघात
अंग भी परघात है । जैसे हाथ/पैरों की रचना । पं. रतनलाल बैनाड़ा जी
वर्गणाऐं
वर्गणाऐं एक सी होती हैं पर पाप/पुण्य से उनमें विशेषता आ जाती है । जैसे काले शरीर में नोकर्म वर्गणाऐं काली बनकर आयेंगी, गोरे के
सिद्धों की संख्या
आकाश से सिद्ध बनने वालों से धरातल के नीचे से संख्यात गुणे तथा उनसे भी संख्यात गुणे धरातल से । श्री हरिवंश पुराण (आकाश से
मिथ्यात्व के टुकड़े
सम्यग्दर्शन होने के बाद या पहले, मिथ्यात्व के टुकड़े होते हैं ? 2 मत हैं -एक के अनुसार पहले तथा दूसरे के अनुसार सम्यग्दर्शन होने
सिद्ध भगवान में दानादि
सिद्ध भगवान में दानादि (भोग, उपयोग) कैसे घटित करें ? ये दानादि, नाम कर्म के उदय से प्रकट/घटित होते हैं । सिद्ध भगवान में आज्ञा-विचय
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