Category: 2010
चल, मल, अगाढ़ दोष
प्रश्न :- क्या ये दोष सम्यग्दर्शन प्रकट हुये बिना उदय होंगे ? श्रीमति रिंकी उत्तर :- तेज आग की लपटें उठ रहीं हों, तो चिंगारियां
क्षायिक सम्यग्दर्शन
कोई सीधे राजा नहीं बनता, पहले राजकुमार पैदा होता है, फिर युवराज बनते हैं, तब राजा । ऐसे ही पहले उपशम सम्यग्दर्शन, फिर क्षयोपशमिक और
अपकर्ष काल
आखरी (9वां) अपकर्ष काल में भी उत्कर्षण/अपकर्षण होता है । इसलिये अंत समय में भाव संभालना बहुत महत्वपूर्ण है । बाई जी
संहनन
अयोग केवली के संहनन नहीं होता । उनके नोकर्म रूप औदारिक शरीर का सत्व मात्र है । नारकियों, देवों, विग्रहगति, आहारक शरीर और एक इन्द्रिय
श्रुतकेवली/केवली
भगवान महावीर के काल में जीवंधर कुमार श्रुत-केवली अवस्था में थे । भगवान के निर्वाण के बाद केवली बने । जिज्ञासा समाधान पेज – 19
दर्शन/ज्ञान
दर्शन – अनाकार आलोकन : जैसे जन्म के समय बच्चे को होता है । ज्ञान – दर्शन के दो, तीन समय के बाद में, ——-अंगोपांग
गुप्ति
गृहस्थ की मुक्ति इसलिये नहीं है, क्योंकि उसके गुप्ति नहीं है । आचार्य श्री विद्यासागर जी
विनय
गौतम गणधर का सिर मानस्तंभ के पास शर्म से नीचे नहीं झुका था, बल्कि सम्यग्ज्ञान होने पर विनय से झुका था । आचार्य श्री विद्यासागर
>जिनबिम्ब
गौतम गणधर को सम्यग्दर्शन, सम्यग्ज्ञान और वैराग्य, भगवान को देखकर नहीं बल्कि मानस्तंभ में जिनबिम्ब को देखकर हुआ था । जड़ में इतनी शक्ति कहाँ
विक्रिया/समुदघात
विक्रिया और समुदघात में क्या फर्क है ? विक्रिया में शरीर के नाना रूप बनते हैं । समुदघात में शरीर एक रहता है और आत्मा
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