Tag: आचार्य श्री विद्यासागर जी

सत्य

सत्य खोजा नहीं जा सकता, खोया जा सकता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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सीख

पानी को देख, पानी-पानी हो जा । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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व्यवस्था

जितनी व्यवस्थाएँ होंगी, उतनी ही अव्यवस्थाएँ भी होंगी और आपकी अवस्था बदल नहीं पायेगी । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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गुरु

गुरु ने मुझे क्या ना दिया ! हाथ में “दीया” दे दिया !! आचार्य श्री विद्यासागर जी

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भाव

दुकानदार माल से मालदार नहीं, भावों से मालदार बनता है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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बदलाव

बदलावों से नयी अनुभूतियाँ होती हैं । भीतर के बदलाव के लिये बाह्य का परिवर्तन जरूरी है । भाव बनाने के लिये शादी, सेना, पूजा

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भाषा

भावों को दर्शाने का माध्यम और सबसे अच्छी अभिव्यक्ति मातृभाषा में ही हो सकती है । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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विज्ञान

क्या, कब, कैसे खाना, विज्ञान का विषय है । क्यों/कितना, वीतराग विज्ञान का । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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स्वाभिमान

स्वाभिमानी, अभिमानी नहीं हो सकता । आचार्य श्री विद्यासागर जी

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मंगल आशीष

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