Tag: गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
कषाय
एक रेत का कण, खीर का आनंद समाप्त, एक छोटी सी दुर्गंध पूरे वातावरण को दूषित, नीम का बीज भी कड़ुवा होता है । कषाय
एकत्व
हम किसी के साथ रहते हैं/चलते हैं, यह संयोग है । वह हमें सहयोग देता है तो उसे हम साथी कहते हैं । पर क्या
कर्तापना
भगवान के कर्तापने को नकारने से क्या हमने भगवान की भगवत्ता को नकार दिया है ? नहीं, हमने तो भगवान के कर्तापने को ही नकारा
रागद्वेष और विरक्ति
आपको किन्ही दो के बीच में राग दिख रहा है तो मानना आपको द्वेष है, और यदि द्वेष दिख रहा है तो आपका राग छिपा
अनुराग
धर्मानुराग – धर्म के प्रति ऐसा अनुराग जो विपत्ति में भी बना रहे । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी (अंधानुराग – अधर्म को भी धर्म
संसार और वैराग्य
संसार में असंतुष्ट प्राणी वैराग्य लेने के बाद भी उन चीजों को पाने में लग जायेगा, जिनकी कमी वह संसार में अनुभव करता था ।
संसार
अपने पराये का भेद ही संसार है । असल में ना कोई अपना है, ना पराया; सब अपने अपने हैं । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
धर्म / दर्शन / अध्यात्म
धर्म को विचार, दर्शन को विश्वास, और आध्यात्म को आचरण कहते हैं । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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