Tag: गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
मंदिर
मंदिर में आने का मतलब- उतनी देर के लिये संसार से दूर/संसार छूटना । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
विसर्जन
जब ग्रहण अनासत्ति भाव से होगा, तभी छोड़ पाओगे । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी (आत्मान्वेषी)
नीति/अनीति
नीति से चपरासी बनना भी मंज़ूर होना चाहिए, अनीति के साथ चक्रवर्ती बनना भी उचित नहीं । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
नाव
जो नाव मुझे उस पार ले जायेगी, एक दिन, उस पार पहुंचकर, उसे भी छोड़ना होगा । ये जानते हुये भी, मन नाव से कितना
राग
गुरू श्री क्षमासागर जी से पूछा – अपनी माँ को देखकर आपको राग नहीं होता ? गुरू श्री – सब माँ, बहनों को माँ मानने
संस्कृति
संस्कृति वह है जो संस्कारित करे । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
धनतेरस
धनतेरस को जैन आगम में धन्य-तेरस या ध्यान-तेरस भी कहते हैं । भगवान महावीर इस दिन तीसरे और चौथे ध्यान में जाने के लिये योग
परपीड़ा
हमें मालूम ना था कि आग इतनी गरम होती है, पता तब चला जब हमारा खुद का घर जला । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
साथी
चलते चलते देखता हुँ, अनायास ही कोई ना कोई साथ हो जाता है । कुछ दूर, वह साथ चलता है । फ़िर या तो ठहर
विज्ञान
सत्य की खोज में किये गये effort का नाम विज्ञान है । गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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