Tag: दुख
दु:ख
दु:ख आयें तो पाप क्रियाओं को दूर करें, क्योंकि दु:ख आते ही पूर्व के पापकर्मों से हैं । मुनि श्री प्रमाणसागर जी
दु:ख/सुख
दु:ख छोड़ना आसान है, सुख छोड़ना कठिन । ठंड़ से घबराकर कमरे में आना आसान, ठंड़ में कमरे से बाहर जाना कठिन । आचार्य श्री
दु:ख
चोट लगने के बाद खुरंट (समय का) बनना शुरू हो जाता है । यदि चोट को बार बार सहलाते रहें/खुजाते रहें तो वह चोट नासूर
दु:ख
दूसरों के दु:ख में साझेदारी करें, अपने दु:ख में साहस रखें । (श्री सुनील)
दुःख
एक दुःखी आदमी देवता के पास जाकर बहुत दुःखी हुआ, उसकी शिकायत थी कि इस दुनिया में सबसे ज्यादा दुःख मुझे ही क्यों मिले हैं
धर्म
सच्चे उपाय (धर्म) के बिना दुःख कम भी नहीं होते हैं और सहे भी नहीं जाते हैं ।
दुःख
एक आदमी बस में गंदी सीट पर बैठा और पीठ में दर्द कर लिया । घर आने पर उसको पूछा – आपने अपनी सीट किसी
धर्म
कुछ बच्चे School ( धर्म ) में घंटी पर ओले की आवाज ( बहाना ) सुनकर Class से भाग खड़े होते हैं । बाहर (
दुखः
पंचम काल में असहनीय दुखः होते ही नहीं हैं, असहनीय दु:ख तो नरक में ही होते हैं। (श्री कल्पेश भाई) (हम तो दु:खों को सह पा
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