Tag: धर्मेंद्र
सुख
1. हमारे पास सुख की कमी नहीं, पर हमें उसकी सुध नहीं । 2. अज्ञानी पुण्य के उदय को सुख मानता है, ज्ञानी ज्ञान के
भाग्य / पुरुषार्थ
लॉकर की दो चाबियाँ हैं, अमूल्य निधी दोनों के लगने पर ही मिलेगी । पुरुषार्थ की चाबी हमारे पास है, भाग्य की मैनेजर के पास
संसार
5 छिद्रों वाले घड़े को कैसे भरेंगे ? गुरु ने मुस्कान के साथ उत्तर दिया -पानी में ही डूबा रहने दो ;भरा ही रहेगा !
सुख/दु:ख और धर्म
दुखी न होना ही, सुखी होना है । सुखी रहना ही धर्म है ।। (धर्मेंद्र)
इबादत
कितने मसरूफ़ हैं हम ज़िंदगी की कशमकश में ! “इबादत” भी जल्दी में करते हैं, फिर से गुनाह करने के लिए। (धर्मेंद्र)
वहम
अहम् ने एक वहम पाल रखा है, सारा कारवां… मैंने ही सँभाल रखा है ! (धर्मेंद्र)
माँ-बाप
माँ-बाप के साथ हमारा सलूक… एक ऐसी कहानी है, जिसे लिखते तो हम हैं लेकिन हमारी संतान हमें पढ़कर सुनाती है । (धर्मेंद्र)
अनाथ
कुछ नादान बच्चे सब्ज़ी बेच रहे थे ! किसी ने पूछा :- “पालक” है क्या ? बच्चों का जवाब सुनकर मन भर आया, बोले… “पालक”
कातिल
ज़हर तो ना दिया, उसने अपने माँ बाप को… लेकिन वक़्त पर दवा भी ना दी….. (धर्मेंद्र)
संग्रह
बहुत ग़ज़ब का नज़ारा है, इस अजीब सी दुनिया का, लोग बहुत कुछ बटोरने में लगे हैं, खाली हाथ जाने के लिए… (धर्मेंद्र)
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