Tag: पुण्य
पुण्य क्रिया
पुण्य बढ़ाने के लिये की जाने वाली पुण्य क्रिया से मिथ्यात्व नहीं बढ़ता बल्कि पुण्य का फल पाने की इच्छा से की गयी पुण्य क्रिया
भोग और पुण्य
क्या 2 रोटी खाने वाले से 10 रोटी खाने वाले का पुण्य ज्यादा होता है ? नहीं, यदि 2 रोटी खाने वाला, 10 रोटी वाले
पुण्य के उदय में पाप भाव
पुण्य के उदय में पाप भाव कैसे ? मिथ्यात्व के साथ पूर्व में पुण्य कमाया हुआ, पाप कराने का भाव कराता है ।
पुण्य / पुरुषार्थ
पुण्य क्षमता देता है, पुरुषार्थ उस क्षमता को उपलब्धियों में परिवर्तित कर देता है ।
पुण्य
पुण्य की ज़रूरत तब तक, जब तक हमसे पाप हो रहा है । कीचड़ पाप है, इसे साफ करने पुण्य रूपी जल चाहिये, बिना पानी
पाप / पुण्य
पाप और पाप क्रिया को छोड़ना, व्रत है ; पुण्य और पुण्य क्रिया को छोड़ना वैराग्य । (मंजू)
कमाने में पाप/पुण्य
पुराने पुण्य को पाप में इन्वेस्ट करने पर पैसा कमाया जाता है । तो कम से कम, पाप से कमाया हुए पैसे को पुण्य में
बड़ा पाप/पुण्य
पाप से भी बड़ा पाप है – “पाप को स्वीकार ना करना” । स्वीकार करते ही वह प्रायश्चित बन जाता है, तप कहलाता है ।
पुण्य
किनका पुण्य ज्यादा, भारतीयों का या अमेरिकन का ? पुण्य भोग अमेरिकन ज्यादा रहे हैं, कमा भारतीय ज्यादा रहे हैं ।
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