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पुण्य / पाप
“पुण्य” छप्पर फाड़ कर देता है… “पाप” थप्पड़ मार कर लेता है ! (मंजु)
पुण्य/पाप
पुण्य हो तो तिनके का सहारा भी तार देता है , पापोदय में जहाज़ भी डुबा देता है ।
पाप / पुण्य / मुक्ति
प्राय: धार्मिक जन पाप-पुण्य/नरक-स्वर्ग की बातें करते हैं । ज्ञानी, पाप-पुण्य से परे, मुक्ति की । मुनि श्री सौम्यसागर जी
पुण्य/पाप फल
पुण्य का Short term फल – संतुष्टि, Long term में – वैभवादि, सुखानुभूति । पाप का Short term फल – संताप, Long term में –
पाप / पुण्य
पापी से पापी कुछ पुण्य तो करता ही है, तभी तो पेट भरता है/अपने बच्चों पर दया करता है ।
पाप/पुण्य
पाप(करना पड़े तो) ऐसे करें जैसे कड़वी दवाई खायी जाती है, पुण्य जैसे मिठाई खाते हैं । पाप का फल मिठाई की तरह खाकर समाप्त
पाप/पुण्य
फुटबाल के खेल की दो टीमें हैं, पाप और पुण्य !! कम से कम पाप के गोल पुण्य से ज्यादा मत होने देना, हो सके
अपच
भोजन न पचने पर चर्बी बढ़ती है, वैभव न पचने पर अहंकार, और पुण्य न पचने पर पाप। (डा.अमित)
पाप/पुण्य
10 kg पंख या 10 kg पीतल में से क्या ढोना पसंद करोगे ? पीतल क्यों ? ढोने में आसानी लोगों की नज़र में कम
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