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मोह / वात्सल्य
नदी और नाव का सम्बंध वात्सल्य है, यदि नाव छिद्र रहित हो, तब नदी नाव को मंज़िल तक ले जाने में सहायक है । छिद्र
मोह
ध्रतराष्ट्र को दिखता नहीं था, पर जब भी सिंहासन की ओर मुँह करते थे उस पर दुर्योधन ही बैठा दिखता था ।
मोह
जल और मोह जहाँ गहरा होता है, बहाव उधर ही हो जाता है/वहीं ठहर जाता है, ठहरने से सड़ने लगता है । खुद का तथा
मोह
मोह कम कैसे करें ? आचार्य श्री – (पीछी कमण्ड़ल उठाकर चलते हुये) ऐसे कम करते हैं ।
मोह
बाज़ का बच्चा बड़े होने पर भी उड़ान नहीं भरता, बार बार घोंसले में आकर बैठ जाता था । जब उसका घोंसला तोड़ दिया गया,
मोह
अपने बालों को और अपने वालों को उखाड़ कर फेंक देने वाला ही अपना कल्याण कर पाता है । (डा.अमित)
मोह
हम मोह में दरख़्तों की तरह हैं… जहाँ लग जायें वहीं मुद्दतों खड़े रहते हैं… (अरविंद) बिना ये परवाह किये कि वहाँ हमारे हिस्से का
मोह
फलदार पेड़ों से फल गिरते रहते हैं, पर नये नये फल लगते रहते हैं । क्यों ? क्योंकि मोह की जड़ें बड़ी गहरी हैं, वे
मोह/कर्तव्य
अपनों के लिये किये गये कार्य प्राय: मोहवश होते हैं, दूसरों के लिये किये गये कार्य कर्तव्यवश । चिंतन
मोह
माल जब तक दुकान में हो तब तक मोह फिर भी समझ आता है, माल बिकने के बाद मोह कैसा ? पर हम तो जीव
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