अनुशासन-हीनता होगी तो पाप का अंत कभी नहीं होगा, जीवन निर्बल/ गया बीता होगा।
अनुशासन से व्रतों/नियमों की रक्षा वैसे ही होती है जैसे कांटों से फूल की।
अनुशासन का पालन किसी और के भय से नहीं बल्कि पाप के भय से करना चाहिये।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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उपरोक्त कथन सत्य है यदि अनुशासन हीनता होगी तो पाप का अंत नहीं हो सकता है अतः जीवन में अनुशासन रखना चाहिए ताकि व़तों एवं नियमों में रक्षा हो सकती है। अतः अनुशासन पालने पर धर्म, परिवार एवं समाज के पुण्य की बढ़ोतरी होती रहेगी।
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उपरोक्त कथन सत्य है यदि अनुशासन हीनता होगी तो पाप का अंत नहीं हो सकता है अतः जीवन में अनुशासन रखना चाहिए ताकि व़तों एवं नियमों में रक्षा हो सकती है। अतः अनुशासन पालने पर धर्म, परिवार एवं समाज के पुण्य की बढ़ोतरी होती रहेगी।