अपूर्वकरण
अपूर्व करण में भी 4 कार्य….
1. गुण-श्रेणी-निर्जरा = गुणित क्रम में, श्रेणी रूप (एक के बाद, एक कर्मों की लड़ियाँ), (असंख्यात गुणी)
2. गुण-संक्रमण = असंख्यात गुणा कर्म, उन कर्मों में डाल दिया जाता है जो निर्जरित होने वाले हैं।
3. स्थिति-कांडक-घात = बड़ी-बड़ी स्थितियाँ टूटने लग जायें।
4. अनुभाग-कांडक-घात = बड़े-बड़े अनुभाग टूटने लग जायें।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
मुनि महाराज जी ने अपूर्वकरण का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है!