अभिनय
ईश्वरचंद विद्यासागर एक नाटक देख रहे थे। कलाकार स्टेज पर लड़की के साथ अभद्रता का अभिनय निभा रहा था।
विद्यासागर से देखा नहीं गया। उन्होंने स्टेज पर जाकर कलाकार को जूता मार दिया। कलाकार ने जूता सिर पर रख लिया और कहा –> मेरे जीवन का सबसे बड़ा इनाम है कि विद्यासागर जी ने उसे सच्चा मान लिया।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
(क्या हम संसार में ऐसा अभिनय नहीं कर सकते !)
One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने अभिनय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अभिनय सच्चाई के रुप में करना चाहिए ताकि वह उसके अभिनय के बाद जीवन में उपयोग करना परम आवश्यक है।