अर्थ
अर्थ के खर्च होने की चर्चा से भी मन व्यथित हो जाता है।
कैसे बचें ?
परमार्थ से जुड़कर।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
अर्थ के खर्च होने की चर्चा से भी मन व्यथित हो जाता है।
कैसे बचें ?
परमार्थ से जुड़कर।
मुनि श्री प्रमाणसागर जी
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One Response
मुनि श्री प़माणसागर महाराज जी ने अर्थ का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए अर्थ कमाना आवश्यक है लेकिन उसमें से परमार्थ में लगाना परम आवश्यक है।