1. दुष्टता – द्वेष रूप/ गंदा पानी
2. इष्टता – राग रूप/ सादा पानी
3. माध्यस्थता – वीतरागता रूप/ नमी रहित
चिंतन
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चिंतन में अवस्थायें के जो भेदों की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अवस्थाओं में मध्यस्थता का मार्ग अपनाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है ।
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चिंतन में अवस्थायें के जो भेदों की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में अवस्थाओं में मध्यस्थता का मार्ग अपनाना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है ।