अहिंसा
शरीर को समय पर उचित भोजन देना अहिंसा है,
जैसे किसान असाढ़ की बरसात में बुवाई करने से नहीं चूकता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
शरीर को समय पर उचित भोजन देना अहिंसा है,
जैसे किसान असाढ़ की बरसात में बुवाई करने से नहीं चूकता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
One Response
जैन धर्म का मूल सिद्धांत अहिंसा परमोधर्म है।मन वचन काय के द्वारा जीव को नहीं मारना अहिंसा है। अतः उक्त कथन सत्य है कि समय पर भोजन देना अनिवार्य है लेकिन उसमें हिंसा के भाव नहीं होना चाहिए।इसी प्रकार किसान असाढ की बरसात में बुबाई करने से नहीं चूकता है। अतः जीवन में मन वचन काय के द्वारा हिंसा के भाव नहीं होना चाहिए।