1. सिद्ध भगवानों की आत्मायें, अनंत एकेंद्रियों को प्रभावित नहीं करतीं क्योंकि वे शुद्ध हैं।
2. कषाय समुद्घात पास में आये जीवों को तथा तैजस अजीवों को भी प्रभावित करते हैं क्योंकि आत्मा के साथ कषाय रूप कर्म वर्गणायें प्रभावित करती हैं।
चिंतन
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चिंतन में आत्मा का स्पर्श का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में जो आत्मा को जानने लगते हैं, वही अपना कल्याण करने में समर्थ होते हैं।
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चिंतन में आत्मा का स्पर्श का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में जो आत्मा को जानने लगते हैं, वही अपना कल्याण करने में समर्थ होते हैं।
2nd Line ka meaning thoda aur clarify karenge, please ?
कषाय समुद्घात में करीब आये जीवों का घात तक हो जाता है।
तैजस समुद्घात में तो द्वारिका भस्म हो गयी थी।
Okay.