स्वयंम्भूरमण द्वीप में इतनी विशुद्धि कि स्वर्ग मुख्यरूप से वहीं से भरता है ।
जबकि वहाँ देव, शास्त्र, गुरु तथा आयतन भी नहीं हैं, फिर इतनी विशुद्धि कैसे ?
शायद इसलिए क्योंकि वहाँ आयतन नहीं हैं पर मतमतांतर भी तो नहीं हैं ।
चिंतन
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4 Responses
आयतन का मतलब सम्यग्दर्शन गुणों के आधार व आश्रय को कहते हैं जबकि इसके विपरीत मिथ्यादर्शन आदि के आश्रय के आधार को अनायतन होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि स्वयंम्भूरमण द्वीप में इतनी विशुद्वी शायद इसलिए क्योंकि वहां अनायतन तो नहीं है पर मत-मतांतर भी नहीं है।
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आयतन का मतलब सम्यग्दर्शन गुणों के आधार व आश्रय को कहते हैं जबकि इसके विपरीत मिथ्यादर्शन आदि के आश्रय के आधार को अनायतन होता है।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि स्वयंम्भूरमण द्वीप में इतनी विशुद्वी शायद इसलिए क्योंकि वहां अनायतन तो नहीं है पर मत-मतांतर भी नहीं है।
2nd sentence mein “आयतन” word use kiya aur third sentence mein “अनायतन” ?
गलत था,
दोनों जगह “आयतन” ही होना था ।
सही भी कर दिया है ।
आशीष ।
Okay.