पुरुषार्थ …..
संम्बधों में नज़दीकियां या दूरियाँ बढ़ाने का काम…..
व्यक्ति स्वयं करता है ।
(अनुपम चौधरी)
Share this on...
One Response
कर्म का मतलब जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण की क़िया या कर्म है। पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़यत्न करना होता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि कर्म सिर्फ मिलाने का काम करता है, जबकि पुरुषार्थ में संम्बधों में नज़दीकियां या दूरियां बढ़ाने काम व्यक्ति स्वयं करता है।
One Response
कर्म का मतलब जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण की क़िया या कर्म है। पुरुषार्थ का मतलब चेष्टा या प़यत्न करना होता है। अतः उक्त कथन सत्य है कि कर्म सिर्फ मिलाने का काम करता है, जबकि पुरुषार्थ में संम्बधों में नज़दीकियां या दूरियां बढ़ाने काम व्यक्ति स्वयं करता है।