कर्म-सिद्दांत
जैसे ऊँट की चोरी छुपती नहीं है,
वैसे ही कर्म-फल को भी छुपा नहीं सकते ।
मुनि श्री महासागर जी
जैसे ऊँट की चोरी छुपती नहीं है,
वैसे ही कर्म-फल को भी छुपा नहीं सकते ।
मुनि श्री महासागर जी
M | T | W | T | F | S | S |
---|---|---|---|---|---|---|
1 | 2 | |||||
3 | 4 | 5 | 6 | 7 | 8 | 9 |
10 | 11 | 12 | 13 | 14 | 15 | 16 |
17 | 18 | 19 | 20 | 21 | 22 | 23 |
24 | 25 | 26 | 27 | 28 |
One Response
कर्म का तात्पर्य जीव मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करता है,वह क़िया या कर्म होता है। जीव विश्वास करता है,उसको कर्म सिद्धांत कहते हैं कि कर्म का परिणाम प़त्येक जीव को भुगतना पड़ता है। जो उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है, जैसे ऊंट की चोरी छिपती नहीं है,उसी प्रकार कर्म फल को छुपा नहीं सकते हैं।
अतः जो जीव इस पर विश्वास करता है,तभी अच्छे कर्म करता है, ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।