कषाय आत्मा में होने वाली क़ोधदि रुप कलुषता को कहते हैं। कषाय चार प्रकार की होती है क़ोध,मन,माया और लोभ। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि कषायें आत्मा को कसने में कमर कस कर आती हैं। उपरोक्त कषायें आत्मा को निर्मल और पवित्र नहीं बना सकती हैं। अतः जीवन में इन कषायों को दूर करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
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कषाय आत्मा में होने वाली क़ोधदि रुप कलुषता को कहते हैं। कषाय चार प्रकार की होती है क़ोध,मन,माया और लोभ। अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि कषायें आत्मा को कसने में कमर कस कर आती हैं। उपरोक्त कषायें आत्मा को निर्मल और पवित्र नहीं बना सकती हैं। अतः जीवन में इन कषायों को दूर करना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।