केवली समुद्घात में स्पर्शन –
दंड में – लोक का असंख्यातवा भाग।
कपाट में – दंड से संख्यात गुणा पर असंख्यात बहुभाग नहीं।
प्रतर में – असंख्यात बहुभाग (वातवलय छोड़कर)।
लोकपूरण में – सर्वलोक।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड- गाथा: 550)
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4 Responses
मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने केवली समुद्घात में स्पर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
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मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने केवली समुद्घात में स्पर्शन को परिभाषित किया गया है वह पूर्ण सत्य है।
‘बहुभाग’ ka meaning clarify karenge, please ?
बड़ा भाग।
Okay.