क्रियायें
प्रकार →
1. पाप क्रिया → सर्वथा हेय/ अशांति का कारण/ कर्म धारा रूप
2. पापानुबंधी-पुण्य क्रिया → मिश्र, मसाले जैसा पुण्य/ पाप,
3. पुण्यानुबंधी-पाप क्रिया → शांति/ अशांति
4. (शुभ क्रिया…शांति/ पुण्य बंध। श्रावकों को उपादेय/ श्रमणों को हेय)
5. शुद्ध क्रिया → शांति/ ज्ञान धारा रूप / सर्वथा उपादेय
क्षु.श्री जिनेन्द्र वर्णी
3 Responses
‘2.पापानुबंधी-पुण्य क्रिया → मिश्र, मसाले जैसा पुण्य/ पाप,
3. पुण्यानुबंधी-पाप क्रिया → शांति/ अशांति’
Upar dono me kaise differentiate kiya? Ise thoda aur clarify karenge, please ?
2) यहाँ पाप से अनुबंध हो रहा है सो शांति तो हो ही नहीं सकती है। इसलिए मिश्र भाव कहा।
3) यहाँ पुण्य का अनुबंध है सो शांति हो सकती है। लेकिन तीव्र पाप का उदय अशांति भी ला सकता है।
Okay.