सिद्धों में क्षायिक-दान के भाव अनंत काल तक रहते हैं (Direct लेने वाला नहीं है सो प्रकट नहीं)।
उनका मात्र ध्यान करके हम निर्भीक हो जाते हैं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
Share this on...
One Response
सिद्ध का तात्पर्य आठ कर्मों के बन्धनो को जिन्होंने नष्ट कर दिया है,ऐसे नित्य निरंजन परमात्मा ही हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सिद्धों में क्षायिक दान के भाव अनंत काल तक रहते हैं। वहां सीधे लेने वाले नहीं हैं इसलिए प़कट नहीं है। बल्कि उनका तो ध्यान करके निर्भीक हो जाते हैं।
One Response
सिद्ध का तात्पर्य आठ कर्मों के बन्धनो को जिन्होंने नष्ट कर दिया है,ऐसे नित्य निरंजन परमात्मा ही हैं।
अतः उपरोक्त कथन सत्य है कि सिद्धों में क्षायिक दान के भाव अनंत काल तक रहते हैं। वहां सीधे लेने वाले नहीं हैं इसलिए प़कट नहीं है। बल्कि उनका तो ध्यान करके निर्भीक हो जाते हैं।