ग्रंथि
ग्रंथि 2 प्रकार की –
1) चीज़ों के सद्भाव में (Superiority Complex से)…
a) वैभव की ग्रंथि
b) व्रतियों में त्याग की
2) चीज़ों के अभाव में (Inferiority Complex से)
पहले मंदिरों में सिले/गांठ लगे कपड़े पहनकर नहीं जाते थे, व्रती धोती दुपट्टा पहनते थे।
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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मुनि श्री क्षमासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि ग़ंथी दो प़कार की होती हैं, प़थम चीजों के सद्वाव में, वैभव की ग़ंथी एवं व़तियों में त्याग की। इसके अलावा दुसरी चीजों के अभाव में! इसके अलावा पहिले मन्दिरों में सिले या गाठं के कपड़े पहनकर नहीँ आते थे, जबकि व़ती धोती एवं टुपट्टा पहनकर आते थे! अतः जीवन का कल्याण करने के लिए इन ग़थी का त्याग करना परम आवश्यक है!
‘पहले मंदिरों में सिले/गांठ लगे कपड़े पहनकर नहीं जाते थे, व्रती धोती दुपट्टा पहनते थे।’
Kya gaanth ‘granthi’ ko denote karti hai? Magar Dhoti me bhi to gaanth Lagani padti hai ?
हाँ, गाँठ ग्रंथि को denote करती है।
2) धोती में गाँठ अनाड़ी ही लगाते हैं।
Okay.