समीचीन उद्देश्य बनाने के लिये ज्ञान की आवश्यकता है,
पर उसे पूर्ण करने के लिये ध्यान की ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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यह कथन सत्य है कि समीचीन उद्वेश्य के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है।प़त्येक प़ाणी मे ज्ञान भरा हुआ है लेकिन उसकी चेतना जाग़ति करना चाहिए।
ध्यान चित्त की एकाग़ता जगाने के लिए आवश्यकता है।ध्यान भी चार प़कार के होते हैं लेकिन इसमे धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान मोक्ष प़ाप्ति में सहायक होने से शुभ ध्यान होता है। ज्ञान को द्रढ़ करने के लिए ध्यान की आवश्यकता होती है।
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यह कथन सत्य है कि समीचीन उद्वेश्य के लिए ज्ञान की आवश्यकता होती है।प़त्येक प़ाणी मे ज्ञान भरा हुआ है लेकिन उसकी चेतना जाग़ति करना चाहिए।
ध्यान चित्त की एकाग़ता जगाने के लिए आवश्यकता है।ध्यान भी चार प़कार के होते हैं लेकिन इसमे धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान मोक्ष प़ाप्ति में सहायक होने से शुभ ध्यान होता है। ज्ञान को द्रढ़ करने के लिए ध्यान की आवश्यकता होती है।