चिंतन/तप और विशुध्दता

नवनीत मथने पर ऊपर आ जाता है, पर पूरा नहीं;
घी तपने पर पूरा उठ जाता है ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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4 Responses

    1. चिंतन से भी विशुध्दता आती तो है, पर नवनीत जैसा पूरा ऊपर उठ नहीं पाता,
      तप से पूरी विशुध्दता, घी जैसी, हर किसी के शीर्ष पर ।

  1. यह कथन बिलकुल सत्य है…
    क्योंकि बिना चिंतन और तप के, आत्मा में विशुध्दता नहीं आ सकती है; जैसा कि उदाहरण में बताया है कि घी बिना तपाने के बन नहीं सकता है, अतः आत्मा में चिंतन और तप से ही विशुध्दता आ सकेगी ।

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