दान

क्षुल्लक श्री गणेशवर्णी जी को एक सेठ ने बढ़िया दुपट्टा लाकर दिया ।
अगले दिन वर्णी जी ने वह एक गरीब बच्चे को दे दिया ।
सेठ – मुझे कह देते, मैं दूसरा ला देता ।
वर्णी जी – ऐसा बढ़िया थोड़े ही ला देते ।

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