ध्यान
ध्यान आत्मा पर लगायें, शरीर पर नहीं ।
कारण ?
ध्यान एक पर केन्द्रित किया जाता है, आत्मा एक है, शरीर के अनेक अंग तथा शरीर पर ध्यान जाते ही उसके अनेक रोगों पर ध्यान चला जायेगा, आत्मा में तो रोग होते ही नहीं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
ध्यान आत्मा पर लगायें, शरीर पर नहीं ।
कारण ?
ध्यान एक पर केन्द्रित किया जाता है, आत्मा एक है, शरीर के अनेक अंग तथा शरीर पर ध्यान जाते ही उसके अनेक रोगों पर ध्यान चला जायेगा, आत्मा में तो रोग होते ही नहीं ।
मुनि श्री प्रणम्यसागर जी
One Response
ध्यान का तात्पर्य चित्त की एकाग्रता का नाम है।यह चार प्रकार का होता है। इसमें धर्म ध्यान और शुक्ल ध्यान मोक्ष प्राप्ति में सहायक होने से शुभ ध्यान है।
उपरोक्त कथन सत्य है कि ध्यान आत्मा पर होता है,पर शरीर पर नहीं।इसका कारण ध्यान एक पर केन्द्रित किया जाता है,वह एक आत्मा ही है।शरीर के अनेक अंग तथा शरीर पर ध्यान जाते ही अनेक रोगों पर ध्यान जाता है, लेकिन आत्मा में रोग होता ही नहीं है।
अतः आत्मा का ध्यान करने पर ही अपना कल्याण कर सकते हैं।