नारद के उदिष्ट-त्याग नहीं होता ।
सिर्फ भेषभूषा से ही क्षुल्लक जाने जाते हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
Share this on...
3 Responses
नारद–वे कलह और युद्ध के प्रेमी होते हैं। एकं स्थान की बात दूसरे स्थान तक पहुंचाने में सिद्व हस्त होते हैं।जटा मुकुट,कमण्लु, यज्ञोपवीत, गेरुआ वस्त्र और वीणा आदि धारण करते हैं। वह बाल ब़म्हचारी होते हैं। धर्म कार्य में तत्पर रहते हुए भी हिंसा व कलह आदि में रुचि रखने के कारण नरकगामी होते हैं। जिनेन्द्र भक्ति के प्रभाव से शीघ्र ही मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। अतः नारद के उदिष्ट-त्याग नहीं होता हैं बल्कि भेष-भूषा से ही क्षुल्लक जाने जाते हैं।
3 Responses
नारद–वे कलह और युद्ध के प्रेमी होते हैं। एकं स्थान की बात दूसरे स्थान तक पहुंचाने में सिद्व हस्त होते हैं।जटा मुकुट,कमण्लु, यज्ञोपवीत, गेरुआ वस्त्र और वीणा आदि धारण करते हैं। वह बाल ब़म्हचारी होते हैं। धर्म कार्य में तत्पर रहते हुए भी हिंसा व कलह आदि में रुचि रखने के कारण नरकगामी होते हैं। जिनेन्द्र भक्ति के प्रभाव से शीघ्र ही मोक्ष प्राप्त कर सकते हैं। अतः नारद के उदिष्ट-त्याग नहीं होता हैं बल्कि भेष-भूषा से ही क्षुल्लक जाने जाते हैं।
“उदिष्ट-त्याग” ka kya meaning hai, please?
अपने उद्देश्य से बनाये गये भोजन का त्याग ।