निंदा
नीचगोत्र-बंध का हेतु निंदा बताया (तत्त्वार्थ सूत्र जी),
जबकि नरक में उच्चगोत्र-बंध भी होता है। तो क्या हम नारकियों से भी गये बीते हैं ?
अंजू-चिंतन
नीचगोत्र-बंध का हेतु निंदा बताया (तत्त्वार्थ सूत्र जी),
जबकि नरक में उच्चगोत्र-बंध भी होता है। तो क्या हम नारकियों से भी गये बीते हैं ?
अंजू-चिंतन
One Response
चिंतन का निंदा का कथन सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए कभी निंदा नहीं करना चाहिए क्योंकि यह पाप की श्रेणी में आता है। आपकी कोई निंदा करता है तो सुधरने का प़यास करना चाहिए।