नोकर्म

शरीर को नोकर्म कहते हैं,
नोकर्म, कर्म की तरह राग-द्वेष में कारण हैं ।
शरीर-नामकर्म, 8 कर्मों में ही आते हैं ।

पं.रतनलाल बैनाड़ा जी

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6 Responses

  1. कर्म का मतलब मन वचन काय के द्वारा प़तिक्षण कुछ न कुछ करना है। यह तीन प्रकार के होते हैं द़व्य कर्म,भाव कर्म और नोकर्म। इसमें नो कर्म का मतलब कर्म के उदय से प्राप्त होने वाला औदारिक आदि शरीर जो जीव के सुख दुःख में निमित्त बनाता है। अतः उपरोक्त कथन सत्य है नोकर्म,कर्म की तरह राग द्वेष में कारण होते हैं इसलिए शरीर नाम कर्म जो आठ कर्मों में आते हैं।

    1. यह post “नोकर्म” तथा “नामकर्म” के confusion को दूर करने के लिए है ।
      Post को और clear कर दिया है ।

  2. “नोकर्म” तथा “नामकर्म” me difference abhi bhi clearly nahi pata chal raha hai?

    1. “नाम-कर्म” से शरीर व शरीर सम्बंधित चीजें बनती/ मिलतीं हैं ।
      जो बनता/ मिलता है उसे “नोकर्म” कहते हैं ।

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