“परस्परोपग्रहो जीवानाम्” इस सूत्र में प्राय: “उपग्रह” का अर्थ “उपकार” ही लिया जाता है पर इसमें “अपकार” भी ग्रहण करना चाहिये।
निर्यापक मुनि श्री सुधासागर जी
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4 Responses
मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने परस्पर की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए उपकार के साथ अपकार भी ग़हण करना परम आवश्यक है।
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मुनि श्री सुधासागर महाराज जी ने परस्पर की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन के कल्याण के लिए उपकार के साथ अपकार भी ग़हण करना परम आवश्यक है।
“अपकार” agar ग्रहण kiya to “परस्परोपग्रहो जीवानाम्” ka kya interpretation hoga ?
जीव आपस में उपकार तथा अपकार भी करते रहते हैं।
Okay.