परिग्रह
हाथ में ज्यादा पत्ते होने से खिसकने की संभावना ज्यादा हो जाती है (उतना ही रखो जितना सम्भाल सकते हो) ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
हाथ में ज्यादा पत्ते होने से खिसकने की संभावना ज्यादा हो जाती है (उतना ही रखो जितना सम्भाल सकते हो) ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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परिग़ह का तात्पर्य यह मेरा, मैं इसका स्वामी हूं,इस प्रकार का ममत्व होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि जीवन में उतना रखो जिसको सम्भाल सकते हो। अतः जीवन में परिग़ह को छोड़ना परम आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।