परिणमन

स्कंध संख्यात/ असंख्यात/ अनन्त गुण वाले भी।
ज्यादा गुण वाला कम गुण वाले को अपने रूप परिणमन करा लेता है।

मुनि श्री प्रणम्यसागर जी (जीवकाण्ड गाथा- 619)

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One Response

  1. मुनि श्री प़णम्यसागर महाराज जी ने परिणमन की परिभाषा बताई गई है वह पूर्ण सत्य है।

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