दूसरों की चिंता

जिनका स्वाध्याय/धर्म में मन लगता है, उनकी चिंता नहीं/चिंता करने की ज़रूरत भी नहीं ।
जिनका मन नहीं लगता, उनकी चिंता करने से लाभ नहीं ।

आचार्य श्री विद्यासागर जी

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One Response

  1. उपरोक्त कथन सत्य है कि जिनका स्वाध्याय और धर्म में मन लगता है,उनकी चिंता नहीं और चिंता करने की जरूरत नहीं है। जिसका मन नहीं लगता है,उनकी चिंता करने से कोई लाभ नहीं है।
    अतः जिनका मन नहीं लगता है,वह पर की सोच में डूबे रहते हैं,उनका कल्याण होना बहुत कठिन होगा। स्वयं में डूबने से मन लगने लगता है।

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