पाप/पुण्योदय
दहला देता था वीरों को, जिनका एक इशारा;
जिनकी उंगली पर नचता था, ये भूमंडल सारा।
कल तक थे जो वीर, धीर, रणधीर अमर सैनानी;
मरते वक्त न पाया उनने, चुल्लू भर भी पानी।।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
चक्रवर्तियों का अंत भी दुखद देखा गया है।
जानवर पालना आसान है, मुगालता पालना कठिन।
आज पुण्य के उदय से निरोगी काया है, माया, कुलवंती नारी, पुत्र आज्ञाकारी है, पर ये हमेशा नहीं बने रहेंगे।
कुटुम्बादि आसाता का उपाय – शब्दों/ वचन का वास्तु ठीक करने से सब ठीक हो जाता है।
मुनि श्री विनम्रसागर जी
6 Responses
आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी एवं मुनि श्री विनम़सागर महाराज जी ने पाप एवं पुण्योदय का उदाहरण दिया गया है वह पूर्ण सत्य है। अतः जीवन में पाप से बचने का प़यास करना चाहिए ताकि जीवन पुण्यमय बन सकता है।
‘रणधीर’ ka kya meaning hai, please ?
जो रण में धैर्य रखता हो।
‘शब्दों/ वचन का वास्तु ठीक करने’ ka kya meaning hai, please ?
घर गलत ढ़ंग से बनने पर दुःख देता है ऐसे ही गलत शब्द/ वचनों के प्रयोग। क्षमा रूपी वास्तु से उसे ठीक किया जा सकता है।
Okay.