भोजन व्यवस्था के पुण्यार्जक को अपने मित्रों/रिश्तेदारों को भोजन कराने नहीं बुलाना चाहिये । यदि बुलाते हो तो उनके भोजन के लिये धन अलग से दें । खुद भी बचे तो खायें, अन्यथा निर्माल्य का दोष लगेगा ।
मुनि श्री सुधासागर जी
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