पुरुषार्थ और संगति
दीपक दो प्रकार से जलाया जा सकता है –
1. माचिस पर तीली रगड़ करके – पुरुषार्थ
2. जलते हुए दीपक के सामीप्य से – संगति
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
दीपक दो प्रकार से जलाया जा सकता है –
1. माचिस पर तीली रगड़ करके – पुरुषार्थ
2. जलते हुए दीपक के सामीप्य से – संगति
गुरुवर मुनि श्री क्षमासागर जी
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जीवन में सफलता के लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है लेकिन किसी की संगति में किया जाता है तो उसको अति उत्तम माना जाता है।जो उदारण दिया गया है माचिस को तीली रगड़ना पुरुषार्थ है लेकिन बिना दीपक के रोशनी नहीं हो सकती है,इसी को संगति कहते हैं।अतः जीवन में पुरुषार्थ करना है तो किसी की संगति आवश्यक है, तभी जीवन प़काश मय हो सकता है।इसको सोने में सुहागा कहा जाता है।