प्रकाश – निमित्तक, उसके लिये सूर्य/दीपक आदि चाहिये ।
अंधकार – स्वतंत्र, पुद्गल की स्वाभाविक पर्याय अंधकार है ।
अच्छाइयों के लिये पुरुषार्थ करना होता है, बुराइयाँ बिना निमित्त के भी रहतीं हैं ।
मुनि श्री सुधासागर जी
Share this on...
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि प़काश निमित्तक है, उसके लिए सूर्य और दीपक आदि की आवश्यकता है। जबकि अंधकार,स्वतंत्र है,पुदगल की स्वाभाविक पर्याय अंधकार है।यह दोनों निमत्तक एवं स्वतत्र है।
जीवन में अच्छाईयों के लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है, जबकि बुराईयां बिना निमित्त के भी रहतीं हैं। अतः जीवन में अच्छाईयों के लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।
One Response
उपरोक्त कथन सत्य है कि प़काश निमित्तक है, उसके लिए सूर्य और दीपक आदि की आवश्यकता है। जबकि अंधकार,स्वतंत्र है,पुदगल की स्वाभाविक पर्याय अंधकार है।यह दोनों निमत्तक एवं स्वतत्र है।
जीवन में अच्छाईयों के लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है, जबकि बुराईयां बिना निमित्त के भी रहतीं हैं। अतः जीवन में अच्छाईयों के लिए पुरुषार्थ करना आवश्यक है ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।