व्रतों तथा सादगी का प्रभाव प्रभावना पर अवश्य पड़ता है।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
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प्रभावना का तात्पर्य ज्ञान, ध्यान तत्पश्चात दया,दान तथा जिन पूजा आदि के द्वारा जिन धर्म की महिमा को कहते हैं। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि धर्म प्राप्ति के लिए विशेष प्रयत्न प्रभावना, भावना यदि अच्छी है तभी प्रभावना होती है, इसके अलावा व़तो एवं सादगी का प़भाव प़भावना पर अवश्य पड़ता है।
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प्रभावना का तात्पर्य ज्ञान, ध्यान तत्पश्चात दया,दान तथा जिन पूजा आदि के द्वारा जिन धर्म की महिमा को कहते हैं। अतः आचार्य श्री विद्यासागर महाराज जी का कथन सत्य है कि धर्म प्राप्ति के लिए विशेष प्रयत्न प्रभावना, भावना यदि अच्छी है तभी प्रभावना होती है, इसके अलावा व़तो एवं सादगी का प़भाव प़भावना पर अवश्य पड़ता है।
‘धर्म प्राप्ति के लिये विशेष प्रयत्न, प्रभावना है।’ Can meaning of this be explained, please ?
साधारण धार्मिक क्रियायें notice में ही नहीं आतीं, तो प्रभावना कैसे करेंगी !
Okay.