प्रेरक-कथायें
शास्त्रों में प्रेरक-संस्मरण अणुव्रतियों के ही आये हैं, महाव्रती के नहीं।
कारण ?
मुनि तो स्व-प्रेरित होते हैं, उनको कथाओं के सहारे की ज़रूरत नहीं होती है।
(अणुव्रती, अणुव्रतियों से ज्यादा प्रभावित होते हैं; महाव्रतियों को तो incomparable/ out of range मानकर दूर से ही हाथ जोड़ लेते हैं)
मुनि श्री सुधासागर जी
One Response
अणुव़त का मतलब हिंसा, झूठ, चोरी,कुशील और परिग़ह,इन पांच पापों का स्थूल रूप से त्याग करना। महाव़त का मतलब कि पांच पापों का पूर्ण रूप त्याग करना होता है। उपरोक्त कथन सत्य है कि शास्त्रों में प़ेरिक संस्मरण अणुव्रती के लिए ही होते हैं, जबकि महाव़ती के लिए नहीं होतें हैं। मुनि तो स्वप्रेरित होत हैं,उनको कथाओं की जरुरत नहीं होती है।