बदलाव
बदलावों से नयी अनुभूतियाँ होती हैं ।
भीतर के बदलाव के लिये बाह्य का परिवर्तन जरूरी है ।
भाव बनाने के लिये शादी, सेना, पूजा के लिये पोशाक निर्धारित की गयी है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
बदलावों से नयी अनुभूतियाँ होती हैं ।
भीतर के बदलाव के लिये बाह्य का परिवर्तन जरूरी है ।
भाव बनाने के लिये शादी, सेना, पूजा के लिये पोशाक निर्धारित की गयी है ।
आचार्य श्री विद्यासागर जी
3 Responses
Suresh Chandra Jain
This is true; Bhav badalne ke liya Atma ko pahichanna zaroori hai, tabhi sahi badlav hoga.
I think atma ko nahi jane lekin pehle bahar ka pehnava bhi agar badle (bhramcharya etc.)toe bhav badlna suru ho jaye isn’t ?
शुरुवात बाहर से ही होती है,
बाहर का असर अंदर होता ही है,
पर
बाहर की क्रियायें करते समय द्रष्टि अंदर के सुधार पर रहनी चाहिये ।