बोधी-दुर्लभ भावना
बोधी-दुर्लभ भावना… सम्यग्दर्शन प्राप्त करना दुर्लभ है।
सही, पर उस दुर्लभ को प्राप्त करने के लिये ही तो इतने दुर्लभ साधन मिले हैं – दुर्लभ आर्यखंड, मनुष्य पर्याय, वीतराग धर्म, गुरु, सुबुद्धि ।
फिर रुकावट क्या ?
रुकावट है दुर्लभ (शुभ/प्रशस्त) कर्मों की, उन्हें आज से ही जमा करना शुरु करें। पूरा होने पर दुर्लभ केवलज्ञान भी प्राप्त हो जायेगा,इस जन्म में केवल-ज्ञान की भूमिका/ उसके निकट, निकट भवों में प्राप्ति।
चिंतन
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बोधी का मतलब सम्यग्दर्शन सम्यक्ज्ञान और सम्यग्चारित्र की प्राप्ति होना होता है। दुर्लभ भावना से तात्पर्य गुरुओं एवं ज्ञान की प्राप्ति होना। उपरोक्त कथन सत्य है कि मनुष्य जीवन बड़ी दुर्लभता से मिला है, अतः जीवन में धर्म एवं गुरुओं से जुड़कर अपनी दुर्लभता दूर की जा सकती है। जीवन में धर्म और गुरुओं के प़ति श्रद्वा एवं समर्पण भाव होना चाहिए ताकि बोधी प्राप्त हो सकती है। अतः जीवन में हमेशा वीतराता के भाव होना चाहिए।बारह भावनाओं में धर्म भावना के प्रति लगाव होना चाहिए ताकि जीवन का कल्याण हो सकता है।