भक्त्ति

सागर आते समय एक वृद्धा आचार्य श्री विद्यासागर जी के पैर धोने लुटिया में जल लेकर भीड़ में से निकलकर आचार्य श्री की ओर बढ़ी ।
कार्यकर्ताओं ने रोक कर उसे पीछे कर किया तो लुटिया का जल आचार्य श्री के चरणों में जा गिरा ।

आचार्य श्री – भक्त्ति का प्रवेश हर जगह/परिस्थिति में हो ही जाता है।

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One Response

  1. भक्ति का तात्पर्य अर्हंन्त आदि के गुणों में अनुराग रखना होता है। अतः आचार्य श्री का कथन सत्य है कि भक्ति का प़वेश हर जगह अथवा हर परिस्थिति में ही हो जाता है।

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